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Neemuch: “Lets walk on the path of Happiness” talk by Motivational Speaker Dr.Prem Masand

Neemuch: “Lets walk on the path of Happiness” talk by Motivational Speaker Dr.Prem Masand
नीमच: विश्व विख्यात प्रेरक वक्ता डॉ. प्रेम मसंद की प्रस्तुति ने सभी का दिल जीत लिया
आओ खुशियों की राह चलें कार्यक्रम से हर चेहरा खिल उठा..
विश्व विख्यात प्रेरक वक्ता डॉ. प्रेम मसंद की प्रस्तुति ने सभी का दिल जीत लिया
पिपलिया मण्डी: दि 25.12.17 ब्रह्माकुमारी संस्थान के पिपलिया मण्डी केन्द्र पर मानों खुशियों की बरसात हो रही थी.. हर चेहरा खिला हुआ और होठों पर मुस्कान थी.. स्त्री, पुरूष, बच्चे, बूढ़े सभी झूम–झूम कर ‘आओ खुशियों की राह चलें’ कार्यक्रम का भरपूर आनन्द ले रहे थे.. विश्व विख्यात तनाव मुक्ति विशेषज्ञ एवं प्रेरक वक्ता डॉ. प्रेम मसंद द्वारा बताई गई खुशहाल जीवन की टिप्स सुन सुन कर हर व्यक्ति निहाल हो रहा था और सोच रहा था कि इन छोटी छोटी बातों को अपनाकर तनाव मुक्त खुशहाल जीवन बनाना कितना आसान हो सकता है.. जरूरत है कुछ एकाग्रता और सकारात्मक सोच की, जिसका सहज उपाय ‘सहज राजयोग मेडिटेशन’ है ।
‘आओं खुशियों की राह चलें’ कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डॉ. प्रेम मसंद ने कहा कि “सभी समस्याओं और बीमारियों का निराकरण सकारात्मक चिन्तन और खुशहाल जीवन पद्धति को अपनाकर किया जा सकता है । दवाईयों का अत्यधिक सेवन भी डिप्रेशन का प्रमुख कारण है, अव्यवस्थित जीवन शैली और एकाग्रता की कमी के कारण हताशा और जिन्दगी से भागना यह सब बढ़ रहा है और काम पर फोकस कम होता जा रहा है, क्योंकि जीवन में सबके बीच होते भी अकेलापन और उदासी बढ़ती चली जा रही है ।” डॉ. प्रेम मसंद ने बताया कि “मनुष्य के मस्तिष्क की ‘वेगस नर्व’ तभी सक्रिय होती है जब उसे प्यार की अनुभूति हो आपने अंग्रेजी शब्द ‘इल’ की व्याख्या करते हुए बताया कि ‘इल माना -आई लेक लव’ अर्थात् ‘मुझमें प्यार की कमी’ ही बीमारी का मुख्य कारण है । बीच बीच में डॉ. प्रेम ने अलग अलग खुशहाली के गीत और संगीत की धुन पर विभिन्न मुद्राओं में हल्की फुल्की एक्सरसाईज भी करवाई जिससे हरेक का चेहरा और मन मस्तिष्क खिल उठा । आजकल फैल रही कैंसर और ह्रदय रोग की बीमारी का मुख्य कारण रिसर्च में पाया गया कि व्यक्ति में इमोशनल स्ट्रेस का लेवल कितना है और बीमारी की शुरूआत से पहले उसकी जीवन शैली और मानसिक सोच किस स्तर का था ? यदि मानसिक तनाव, हताशा, उदासी, अकेलापन और अव्यवस्थित जीवन शैली पर ध्यान दिया जाए और छोटी छोटी तनाव मुक्ति के टिप्स अपनाकर कुछ पल मेडिटेशन का अभ्यास करें तो सभी समस्याओं का निदान हो सकता है ।
कार्यक्रम के मध्यकाल में सभी उपस्थित जनसमुदाय को खड़ा करके विभिन्न मुद्राओं में खुशी का डांस करवाया गया जिसके परिणाम स्वरूप सारा हॉल खुशियों की तरंगों से सारोबार हो उठा । उसके पश्चात डॉ. प्रेम ने जीवन शैली का सार समझाते हुए कहा कि मनुष्य का सारा जीवन दो भावनाओं के द्वारा नियंत्रित होता है एक भय और दूसरा प्यार । डर अथवा अपने उपर विश्वास की कमी मनुष्य के मस्तिष्क में रक्त संचार को प्रभावित करती है और रक्त का प्रवाह मस्तिष्क को छोड़कर पैरों की और चला जाता है जिसके कारण अनेक रोगों की शुरूआत होती है। परीक्षा में छात्रों की एकाग्रता भंग होना, युवाओं में क्रोध व नशे की प्रवृत्ति में वृद्धि होना, बुजुर्गों में हताशा और निराशा बढ़ जाना, महिलाओं में चिड़चिड़ापन तेजी से बढ़ना ये सब डर और अविश्वास की प्रवृत्ति से उत्त्पन्न होता है । किन्तु यदि प्रत्येक व्यक्ति की तीन मूलभूत आवश्यकताओं प्यार, खुशी और शांति की पूर्ति हो जाए तो अनेक समस्याओं और बीमारियों का निदान सरलता से हो जाएगा ।
डॉ. प्रेम ने एक तथ्यात्मक जानकारी देते हुए बताया कि पिछले लगभग 20 वर्षों में स्पोन्डिलाईटिस, घुटना प्रत्यारोपण और हार्ट बायपास सर्जरी बहुत तेजी से बढ़ी है क्योंकि हमारी जीवन शैली से खुलापन, लचीलापन और स्वाभाविक बचपना निकल चुका है.. हम नारियल के समान बन गए हैं.. उपर से सख्त होने का दिखावा अन्दर से कमजोर.. अर्थात रियल नहीं या कहो नकली रूप धारण कर लिया है इसे दूर कर अपने को रियल स्वरूप में अर्थात चेतना या आत्मा का स्वरूप महसूस करके यदि सुबह और शाम केवल कुछ मिनिट मेडिटेशन का अभ्यास करें तो चमत्कारी परिणाम हांसिल होंगे ।
कार्यक्रम की शुरूआत में डॉ. प्रेम मसंद, बी.के.सुरेन्द्र, श्री अशोक कुमठ, श्री श्यामलाल जोकचंद, श्री मानसिंह माच्छोपुरिया, श्री रमेश पाटीदार व राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी सविता बहन ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की । कार्यक्रम के अंत में प्रश्नोत्तर के माध्यम से सभी के शंका समाधान किये गए एवं व्यक्तिगत मुलाकात करके भी डॉ. प्रेम ने समस्याओं का निराकरण बताया । इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों को पवित्र ईश्वरीय प्रसाद का पेकेट प्रदान किया गया ।
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जीरन (नीमच) में शिव धाम भवन में दिव्य प्रवेश एवं विशाल आध्यात्मिक कार्यक्रम

शिव धाम का यह पवित्र भवन नगर को आध्यात्म की नई दिशा देगा – बी.के.सूर्य भाई
जीरन में शिव धाम भवन में दिव्य प्रवेश एवं विशाल आध्यात्मिक कार्यक्रम सम्पन्न
नीमच (जीरन) : ‘‘जीरन नगरी में बना यह नवीन ‘शिव धाम’ अपनी आध्यात्मिक किरणों के द्वारा नगर में निरंतर सुख-शांति के प्रकम्पन्न प्रवाहित करेगा । इसके सुन्दर हॉल में हमेशा सेवाओं के कार्यक्रम चलते रहेंगे तथा विशेष ध्यान कक्ष के शक्तिशाली वाईब्रेशन हर राजयोग साधक को आध्यात्मिक शक्तियों से परिपूर्ण कर आंतरिक खुशी प्रदान करेगा ।’’ उपरोक्त विचार विश्व
विख्यात प्रेरक वक्ता, मानस मर्मज्ञ एवं संकल्प सिद्ध योगी ब्रह्माकुमार सूर्य भाई जी ने अपने वक्तव्य में कहे । आप यहाँ ब्रह्माकुमारीज़ की विशाल दो मंजिला भवन के दिव्य प्रवेश के अवसर पर पधारे थे । आपके साथ ही प्रेरक वक्ता, दिव्य प्रभा एवं साहित्स सृजक, अन्तर्राष्ट्रीय विभूति राजयोगिनी बी.के.गीता बहन जी भी उपस्थित थे । दोनों विशिष्ट अतिथि द्वय ने शिवधाम के प्रवेश द्वार
पर ओम शान्ति की ध्वनि के साथ नारियल फोड़कर तथा फीता काटकर दिव्य प्रवेश किया तथा शिव भोलानाथ के भण्डारे में अपने हाथों से भोग प्रसादी बनाई, तत्पश्चात बहुत बड़ी संख्या में उपस्थित ब्रह्मावत्सों को संबोधित करके आध्यात्मिक सेवाओं के लक्ष्य देकर मार्गदर्शन दिया ।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में निर्भय, निश्चिंत और खुशहाल जीवन के लिए टिप्स देने वाले कार्यक्रम ‘सुख शांति की ओर कदम..’ का शुभारंभ अतिथि द्वय ने राजयोगिनी बी.के.सविता दीदी, राजयोगी बी.के.सुरेन्द्र भाई, बी.के.श्रुति बहन, बी.के.ज्योति बहन एवं बी.के.वर्षा बहन ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया । अतिथियों का स्वागत वरिष्ठ भाजपा नेता रमेश जी
मेहता एवं पूर्व न.पं.अध्यक्ष जीवराज धानुक ने किया । बी.के.सूर्य भाई जी तथा राजयोगिनी बी.के.गीता दीदी ने अपने ओजस्वी वक्तव्य से सभी को लाभान्वित किया तथा खुशहाल जीवन शैली के अनेक सहज, सरल उपाय बताऐ । स्वागत भाषण बी.के.सविता दीदी ने दिया तथा आभार प्रदर्शन बी.के.सुरेन्द्र भाई ने किया तथा कार्यक्रम का संचालन बी.के.श्रुति बहन द्वारा किया गया ।
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ब्रह्माकुमारीज़ के संस्थापक पिताश्री ब्रह्माबाबा का स्मृति दिवस विश्व स्तर पर मनाया गया

ब्रह्माकुमारीज़ के संस्थापक पिताश्री ब्रह्माबाबा का स्मृति दिवस विश्व स्तर पर मनाया गया
नीमच : अन्तर्राष्ट्रीय शांतिदूत ब्रह्माकुमारी संस्थान के संस्थापक पिताश्री ब्रह्माबाबा ने आध्यात्मिक रूप से संपूर्णता को प्राप्त कर 18 जनवरी-1969 को देह त्याग किया था । उनके स्मृति दिवस को संसार के 150 से अधिक देशों में विश्व शांति दिवस के रूप में मनाया जाता है । इस वर्ष उनके 56 वें स्मृति दिवस को सारे विश्व में फैले ब्रह्माकुमारीज़ के हजारों सेवाकेन्द्रों द्वारा गहन मौन तपस्या एवं दिव्य सत्संग के विशाल आयोजन कर मनाया गया । इसी श्रंखला में संस्थान के नीमच सबझोन एरिया के नीमच, नीमच सिटी, बघाना, मनासा, रामपुरा, जावद, जीरन, मल्हारगढ़, पिपलिया मण्डी व नारायणगढ़ सेवाकेन्द्रों के साथ ही अनेक ग्रामीण केन्द्रों पर भी ब्रह्मा बाबा का 56वां स्मृति दिवस मनाया गया ।
इस विशेष आध्यात्मिक कार्यक्रम की शुरूआत ्ब्रह्ममुहुर्त अमृतवेला 3.30 बजे से ही सामुहिक राजयोग ध्यान तपस्या से हुई, जिसमें भारी ठंड होने के बावजूद 3.30 बजे से ही 50 से अधिक ब्रह्मावत्सों ने भाग लिया । तत्पश्चात प्रात: 6 से 11 बजे तक लगातार चले कार्यक्रम में राजयोग मेडिटेशन, ईश्वरीय महावाक्यों की मुरली क्लास, प्रात: कालीन भोग के पश्चात उपस्थित 500 से अधिक ब्रह्मावत्सों को विशेष गाजर का दूध तथा चार प्रकार के फल वितरित किये गए । राजयोगिनी बी.के.सविता दीदी के संबोधन के बाद परमात्मा शिव को महाभोग स्वीकार करवाया गया । तत्पश्चात ब्रह्माबाबा के चरित्र दर्शन पर संस्थान के एरिया डायरेक्टर बी.के.सुरेन्द्र भाई ने अपने अनुभव युक्त संस्मरण सुनाऐ तथा रनिंग कॉमेन्ट्री द्वारा राजयोग तपस्या में परम शांति की अनुभूति कराई गई । कार्यक्रम के अन्त में उपस्थित सभी सैकड़ों ब्रह्मावत्सों को महाभोग प्रसादी वितरित की गई । कार्यक्रम का संचालन बी.के.श्रुति दीदी ने किया ।

देहभान से मुक्त आत्म स्थिति का अनुभव ही हमारी रक्षा करेगा – शारदा दीदी
नीमच में आयोजित राजयोग तपस्या शिविर में 800 से अधिक ब्रह्मावत्सों ने भाग लिया
नीमच : ‘‘अगर हम अपने जीवन से असंतुष्ट हैं या किसी व्यक्ति के व्यवहार से डिस्टर्ब होते हैं तो हमें अपने आप से बातें कर अपनी ही काउंसलिंग करनी है । अपनी आध्यात्मिक चेतना को जागृत करना है । यह बात गहराई से महसूस करनी है कि इस सृष्टि रंगमंच पर हर व्यक्ति अपना रोल अदा कर रहा है । मुझे केवल अपनी भूमिका पर ध्यान देना है । यदि यह ध्यान रखें कि मैं इस सृष्टि नाटक में कैसे अपना पार्ट बेहतरीन ढंग से अदा कर सकता हूँ तो किसी दूसरे से दिया गया तनाव समाप्त हो जाएगा और क्षमा भाव जागृत होगा ।’’ उपरोक्त विचार विश्व विख्यात आध्यात्मिक विभूति बी.के.शारदा दीदी जी ने ब्रह्माकुमारीज़, पावन धाम परिसर में आयोजित विशाल राजयोग तपस्या शिविर को संबोधित करते हुए व्यक्त किये । आपने सफलता का मंत्र देते हुए बताया कि समय पर निर्भरता छोड़कर समय से पहले ही हमें खुद को आत्मशक्ति सम्पन्न बनाना होगा । इसके लिए कर्मयोगी की अवस्था में रहकर कर्म करें और बीच बीच में शरीर के भान से मुक्त होकर अशरीरीपन अर्थात आत्मस्थिति का अनुभव करें तो आत्मा बलवान होती चली जाएगी । एक बलवान और सशक्त आत्मा किसी भी आने वाली परिस्थिति का सामना सहज करके पार हो जाएगी । शारदा दीदी जी ने 45 मिनिट से अधिक अपनी कॉमेन्ट्री के द्वारा उपस्थित विशाल सभा को शक्तिशाली आध्यात्मिक संकल्प प्रदान कर असीम सुख-शांति का अनुभव करवाया । बीच-बीच में प्रश्नोत्तर द्वारा आपने सभा में उपस्थित सभी ब्रह्मावत्सों को सक्रिय बनाए रखा । इस अवसर पर 60 से भी अधिक वर्षों से राजयोग तपस्या के मार्ग पर चल रहे वरिष्ठ चार्टड अकाउण्टेंट बी.के.जयेश भाई ने भी संस्था के संस्थापक पिताश्री प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा ली गई पालना के अनुभव साझा किये तथा शारदा दीदी की सहयोगी बी.के.त्रिवेणी बहन ने भी राजयोग मेडिटेशन के महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर प्रकाश डाला । यह पूरा कार्यक्रम लगातार पांच घण्टे तक चला.. जिसमें 800 से भी अधिक ब्रह्मावत्सों ने पूरे अनुशासन और लगन के साथ कार्यक्रम का लाभ लिया । कार्यक्रम के प्रारंभ में राजयोगिनी बी.के.सविता दीदी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया साथ ही प्रत्येक आगंतुक ब्रह्मावत्स को बी.के.बहनों ने चन्दन का तिलक लगाकर सभागार में प्रवेश दिया। कार्यक्रम के अंतिम चरण में ज्ञानोदय अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. विनी कैथवास ने उपस्थित महिला वर्ग समूह को महिला रोगों के बारे में विस्तृत जानकारी व सावधानियाँ बताई । इस पूरे कार्यक्रम के दौरान सभी ने अपने मोबाईल स्वीच ऑफ कर रख दिये थे । अंत में ब्रह्माकुमारीज़, नीमच सबझोन के डायरेक्टर बी.के.सुरेन्द्र भाई ने शारदा दीदी व जयेश भाई के साथ ही बी.के.त्रिवेणी बहन का तीन दिन तक विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेकर सभी को आध्यात्मिक लाभ देने के लिए आभार प्रकट किया । कार्यक्रम के आखरी चरण में सभी को ब्रह्माकुमारी बहनों द्वारा बनाया गया दिव्य ब्रह्माभोजन परोसा गया, जिसका सभी ने रसास्वादन लिया ।
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