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कॉन्वेंट स्कूल में “परीक्षा के भय से मुक्ति’ कार्यशाला सम्पन्न

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जब हमारे विचारों में अपवित्रता, व्यर्थ और निगेटिविटी बढ़ जाती है तभी भय का जन्म होता है । हमें अपने विचारों का निरिक्षण और विश्लेषण करना पड़ेगा, सकारात्मक विचार हमारी कार्यक्षमता व एकाग्रता को बढ़ाते हैं । इसलिए हमें सकारात्मक और शक्तिशाली सोच रखनी है क्योंकि उर्जा कभी नष्ट नहीं होती केवल रूप बदलती है । हमारे जीवन का निर्माण भी हमारे विचारों की उर्जा से होता है । जैसा हम सोचेंगे वैसा बनेंगे..” उक्त विचार मैनेजमेंट स्पेशलिस्ट राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी श्रुति बहन ने कार्मल कॉन्वेंट स्कूल में आयोजित ‘परीक्षा के भय से मुक्ति’ कार्यशाला का संचालन करते हुए व्यक्त किये । आपने विशाल आडिटोरियम में उपस्थित लगभग 600 विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को संबोधित करते हुए वैज्ञानिक ढंग से समझाया कि – “बचपन से ही हम सब के माइण्ड की कण्डीशनिंग इस प्रकार से कर दी जाती है कि हमारी हर चोट और दर्द के लिए दूसरा जवाबदार है जैसे बचपन में जब हम गिरते हैं या चोट लगती है तो माता पिता अथवा अन्य वरिष्ठजन दीवारों को थप्पड़ लगाकर चीटीं को दोष देकर या अन्य किसी प्रकार से किसी और को दोष देकर समझा बुझा कर चुप करा देते हैं, यहीं से हम दूसरों पर दोषारोपण करना सीख जाते हैं अब हमें फिर से अपने माइण्ड की कण्डीशनिंग करनी है ।” श्रुति बहन ने परीक्षा के भय और पेपर हॉल में दिमागी स्थिरता के लिए बच्चों को समझाया कि – “यदि हमारी परीक्षा की तैयारी में कोई चेप्टर हम तैयार नहीं कर पाते तो परीक्षा हॉल में दिमाग में यह भय बैठ जाता है कि कहीं उसी चेप्टर से कोई प्रश्न न पूछ लिया जाए और हमारी निगाहें प्रश्नपत्र में उससे सम्बन्धित ढूंढती है और यदि कोई प्रश्न आ जाए तो टेंशन के मारे जो दूसरे प्रश्न हमें याद थे वो भी गड़बड़ा जाते हैं ।” इस समस्या का निवारण बताते हुए श्रुति बहन ने बताया कि अपने मन को इतना पावरफुल बनाओ कि जो संकल्प हम करें वो सिद्ध हो जाए, सदैव यह स्मृति रखकर परीक्षा की तैयारी की जाए कि यह चेप्टर तो बहुत सरल है और मैं तो इसे आसानी से सोल्व कर लूंगा, तो वह आसान लगते लगते याद हो जाएगा ।” श्रुति बहन ने जीवन में सफलता का मंत्र बताते हुए कहा कि “प्रचलित नियम कायदों का पालन करें मन को मेडिटेशन से मजबूत बनाएें ताकि किसी भी परिस्थिति का मन पर प्रभाव न पड़े । निगेटिव थॉट्स को डिलीट करें और मन रूपी हार्डडिस्क पर वेस्ट मटेरियल का बोझ न डालें ।” श्रुति बहन ने अनेक अच्छे अच्छे उदाहरण देकर बच्चों को तनाव और भय से मुक्त करने के लिए प्रेक्टिकल टिप्स दिये और बच्चे बीच बीच में तालियों की गड़गडाहट से अपनी स्वीकृति और खुशी प्रकट करते रहे । श्रुति बहन ने सब बच्चों से हाथ खड़े करवाकर संकल्प दिलाया कि “आइ केन डू.. नथिंग इस इम्पासिबुल..” आजकल के छात्र और युवा शक्ति टीवी, मोबाईल, वाट्सएप, फेसबुक, ट्वीटर आदि बातों में अपनी मन की एकाग्रता और उर्जा नष्ट कर रहे हैं साथ ही निगेटिव पॉजीटिव का अट्रेक्शन जीवन को बर्बाद कर रहा है इसलिए आध्यात्मिकता की नितांत आवश्यकता है जिससे हम जीवन का अनमोल सत्य जान सकें और राजयोगा मेडिटेशन का कुछ मिनटों का अभ्यास ही हमारे मन, मस्तिष्क और विचारों को शक्तिशाली बना देता है” इसके पश्चात श्रुति बहन ने सभी छात्रों और शिक्षकों को आडियो विज्युअल तरीके से मेडिटेशन का अभ्यास करवाया जिसे करने के बाद सभी के चेहरों पर तृप्ति और संतुष्टता का भाव देखा गया ।
तनाव मुक्ति विशेषज्ञा ब्रह्माकुमारी मेघना बहन ने भी कार्यशाला को संबोधित कर छात्रों एवं शिक्षकों को अनेक महत्वपूर्ण टिप्स दिये । आपने बताया कि न हम कम्प्लेन करें, न किसी को ब्लेम करें बल्कि जो कुछ हमारे पास है उसे बेहतर तरीके से यूज करें, हमेशा अपनी सफलता और अपनी मंजिल को सामने रखें क्योंकि हमें हर पेपर को फेस तो करना ही है तो फोकस करें.. डरें नहीं.. अपनी संपूर्ण एकाग्रता की उर्जा हर समस्या के हल में फोकस करें, क्योंकि हर एक्जाम हमें आगे बढ़ाने के लिए आता है जिस बच्चे ने 9 बार एक्जाम पास किया वो आज दसवीं में है जिसने 11 बार किया वो आज 12 वीं में है तो हमेशा एक्जाम का वेलकम करें.. डरें नहीं.. हल्के और खुश मन से परीक्षा की तैयारी करें ।
कार्यशाला की शुरूआत में कॉर्मल कॉन्वेण्ट की प्रिंसीपल सिस्टर जया ने श्रुति बहन एवं मेघना बहन का स्वागत किया एवं परिचय दिया । कार्यक्रम की रूपरेखा तय करने में श्रीमती मंजू ओझा का योगदान सराहनीय रहा । जबकि अन्त में आभार प्रदर्शन मैडम तपस्या विश्वास ने किया । कई विद्यार्थियों ने हाथ खड़े करके परीक्षा की तैयारियों तक टीवी, फेसबुक, वॉट्सअप आदि से किनारा करने का संकल्प धारण किया ।

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त्रिदिवसीय तनाव मुक्त खुशहाल जीवन शैली केम्प का समापन सम्पन्‍न

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त्रिदिवसीय तनाव मुक्त खुशहाल जीवन शैली केम्प का समापन सम्पन्‍न
विधायक सहित अनेकानेक गणमान्य नागरिकों ने शिविर का लाभ लिया
नीमच : दि. 29.10.25 ‘‘सारे दिन में हम कितनों से मिलते हैं, लेकिन हम अपने आप से क्या कभी मिल पाते हैं, हम दूसरों से सम्बन्ध तो मधुर बनाने का प्रयास करते हैं, किन्तु हमें अपने आप से सम्बन्ध बनाने के लिए समय भी नहीं है.. समझ भी नहीं है.. न तो हम अपने मन को समझ पाते हैं और हर बात के लिए मन को दोषी ठहरा देते हैं, जबकि सबसे अच्छा दोस्त हमारा मन ही हो सकता है । लेकिन मन को तो हमने दुश्‍मन बनाके रखा है । इन सब नासमझियों का एक ही कारण है कि हम स्वयं को देह मानकर जीवन जी रहे हैं। जबकि वास्तविकता तो ये है कि ‘मैं’ अर्थात ही एक चैतन्य शक्ति आत्मा.. आत्मा का ज्ञान न होने से ही देह अभिमान के कारण ही हम और हमारी कर्मेन्द्रियां काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार के वशीभूत हो जाती हैं । जब आत्मा का सत्य ज्ञान प्राप्त हो जाता है तो आत्मा के मूल गुण ही सुख, शांति, प्रेम, आनन्द, पवित्रता, ज्ञान और शक्ति है, और इन्हीं गुणों की तलाश में मानव दर-दर भटक रहा है । राजयोग मेडिटेशन हमें ज्ञान के इन मूल तत्वों से अवगत करवाता है और परमात्मा से सम्बन्ध स्थापित करके सुख, शांति, आनन्द के खजानों से भरपूर बना देता है’’ उपरोक्त विचार हर हाल में खुशहाल शिविर के तीसरे व अंतिम दिन विश्‍व विख्यात प्रेरक वक्‍ता प्रो.ई.वी.गिरीश ने व्यक्त किये । प्रोफेसर गिरीश ने शिविर के अंतिम सत्र में राजयोग मेडिटेशन के विधि विधान से अवगत करवाते हुए 15 मिनिट तक अपने शब्दों की कॉमेन्ट्री द्वारा सुख, शांति, प्रेम व आनन्द की गहन अनुभूति भी करवाई ।
अंतिम सत्र के प्रारंभ में प्रोफेसर ई.वी.गिरीश, विधायक दिलीप सिंह परिहार, सिविल जज शोभना मीणा, राजयोगिनी बी.के.सविता दीदी, बी.के.सुरेन्द्र भाई, हार्टफुलनेस ग्रुप के राजमल व्यास, इंजिनियर बी.एल. गौर, पर्यावरण मित्र जगदीश शर्मा आदि ने दीप प्रज्‍जवलित कर सत्र का शुभारंभ किया। विधायक दिलीप सिंह परिहार ने सत्र के शुरू में अपने उद्‌बोधन में ब्रह्माकुमारी संस्थान के मानव उत्थान की की दिशा में विश्‍व व्यापी प्रयासों की सराहना की । शिविर के मध्यकाल में बी.के.सविता दीदी ने कॉमेन्ट्री देकर राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास करवाया। कार्यक्रम का संचालन बी.के.श्रुति बहन ने किया तथा आभार प्रदर्शन बी.के.सुरेन्द्र भाई ने किया ।

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सेकेण्डरी स्कूल के 800 विद्यार्थियों को ‘डिजिटल डिटॉक्स’ कार्यक्रम देकर प्रो.गिरीश ने लाभान्वित किया

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मोबाईल, टीवी के एडीक्शन से सचेत कर छात्रों को लक्ष्य प्राप्ति के लिए जागृत किया
नीमच : दि. 28.10.25 ‘‘हम सारे दिन में जो भी अच्छा या बुरा लगातार करते हैं मस्तिष्क उसको नहीं जानता किन्तु उन कार्यों को आगे के लिए सरल करता जाता है और ब्रेन एक इनसाईड पाथ वे बना देता है, यही हमारी एडिक्शन अर्थात आदत बन जाती है । यदि रात को थक कर रिलेक्‍स होने के ल‍िए मोबाईल देखकर सोना चाहते हैं तो ब्रेन रिलेक्स होने के बजाए सुपर एक्टिव हो जाता है तथा रात्रि को नींद के लिए आवश्यक हारमोन ‘मेलाटॉनिन’ का बनना एकदम कम कर देता है, जिससे आगे चलकर अनिद्रा की बीमारी बढ़ती चली जाती है । स्क्रीन की ब्लू लाईट आंखों पर दुष्प्रभाव डालती है जिसका मस्तिष्क पर भी बहुत बुरा असर होता है ।’’ उपरोक्त जानकारियाँ सेकेण्डरी स्कूल 800 से अधिक विद्यार्थियों को दो सेशन के कार्यक्रमों में प्रोफेसर ई.वी.गिरीश ने अपने उद्‌बोधन से प्रदान की ।
प्रोफेसर गिरीश ने हंसी और खेल खेल में विद्यार्थियों को ‘मार्शमेलो इफेक्ट’ से अवगत करवाया जिसमें खाने की स्वादिष्‍ट मिठाई देकर आत्म नियंत्रण का परीक्षण किया गया । कुछ ने तुरंत खाई, कुछ ने थोड़े समय बाद लेकिन कुछ विद्यार्थिंयों ने आत्मनियंत्रण रखकर पुरूस्कार जीतने तक नहीं खाई । इन सभी का कुछ वर्षों बाद सर्वे करने पर पता चलता है कि आत्म नियंत्रण वाले विद्यार्थी सर्वाधिक सफल पाए गए । उनका आत्मनियंत्रण मेडिटेशन के परिणाम स्वरूप था ।
प्रोफेसर ई.वी.गिरीश ने आज की पीढ़ी के स्वभाव को समझाते हुए बताया कि ये वर्ग इंस्टेंट ग्रेटिफिकेशन अर्थात परिणाम चाहे जो हो उनके मन को तत्काल संतुष्टि चाहिए, इसीलिए फास्ट फूड, विभिन्‍न प्रकार के नशे के आदि होकर अपने जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं । आपने सभी विद्यार्थियों को शार्प मेमोरी का खेल खिलाते हुए 15 चीजों के नाम सुनाऐ जिन्हें अपने ब्रेन में नोट कर रिपीट करना था, किन्तु उसमें कोई विद्यार्थी पास नहीं हुआ, तब प्रोफेसर गिरीश ने इन्हीं चीजों को एक छोटी सी स्टोरी से जोड़कर सुनाया तो लगभग सभी विद्यार्थी उन चीजों के नाम दोहराने में सफल हुए । आपने लोकप्रिय ओटीटी प्लेटफार्म नेटफ्लिक्स के सी.ई.ओ. का उदाहरण देकर बताया कि नेटफ्किक्स की सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी नींद है, इसलिए अपने एपिसोड एैसे बनाते हैं जिससे अगले एपीसोड का बेताबी से इंतजार रहता है । और इस प्रकार सोश्यल मिडिया हमारे स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है । प्रोफेसर गिरीश ने सबको सावधान करते हुए समझाया कि आज की छात्र पीढ़ी के लिए स्कूलों में आध्यात्मिक कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी जानी चहिए, क्योंकि हर विद्यार्थी स्कूल से मिला सबक उम्रभर याद रखता है ।
एक रिसर्च का हवाला देकर प्रो.गिरीश ने बताया कि ब्रह्ममुहुर्त्त में 3.30 बजे से 4.30 बजे के मध्य मस्तिष्क में बेस्ट हार्मोन्स उत्सर्जित होते हैं । यदि उस समय जागृत अवस्था में मेडिटेशन किया जाए तो स्वास्थ्य को बहुत लाभ मिलता है । इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने वाले कार्मल कान्वेंट और क्रिएटिव माइण्ड स्कूल के लगभग 800 सेकेण्डरी विद्यार्थियों से प्रोफेसर गिरीश ने गुरूदक्षिणा के रूप में पांच वचनों की मांग की जिसमें पहली अपनी माँ से रोज एक बार प्यार से लिपट जाना, दूसरा अपने पापा के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना, तीसरा रात को सोते समय और सुबह उठते समय परमात्मा का स्मरण कर उनसे गुडनाईट और गुडमार्निंग करना, अपने स्कूल के शिक्षकों और स्टॉफ से आदर पूर्वक नमस्ते करना तथा पांचवा अपने छोटे भाई बहनों से लड़ाई झगड़ा न करके प्यार से व्यवहार करना ..।
कार्यक्रम का संचालन बी.के.श्रुति बहन ने किया तथा अंत में सभी को पवित्र प्रसादी प्रदान की गई ।

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खचाखच भरे हॉल में सब हुए खुशहाल

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‘हर हाल में खुशहाल’ कार्यक्रम को भारी सफलता मिली
नीमच : दि. 26.10.25 ‘‘कोई व्यक्ति जो किसी हिरो हिरोइन का फेन होता है तो उनके जैसा हेयर स्टाइल, ड्रेस या टैटू बनवाकर उनको फॉलो करने की कोशिश करता है, हम भी 33 करोड देवी देवताओं के प्रति श्रद्धा भावना रखते हुए पूजा पाठ तो करते हैं किन्तु उनके जैसी चेहरे पर मुस्कुराहट अथवा उनका एक भी गुण क्या अपने में धारण करने की कोशिश करते हैं ? और जो कमियाँ हमारे अन्दर हैं वही हमारी खुशी को नष्ट करती हैं । खुशी किसी देवता के वरदान या आशीर्वाद से नहीं मिलती, ये तो हमें अपने कारणों को जानकर उसका निवारण खुद को ही करना होगा तो हमारा जीवन खुशहाल बन जाएगा’’ उपरोक्त विचार विश्‍व विख्यात प्रेरक वक्‍ता, विश्‍व विभूति प्रोफेसर ई.वी.गिरीश ने नीमच सद्‌भावना सभागार में खचाखच भरी सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किये । आपने बताया कि मनुष्य की 80% बिमारियों का कारण साइकोसोमेटिक अर्थात मनोस्थिति से संबन्ध रखती है, यदि हम राजयोग मेडिटेशन से अपने मनोभावों को नियंत्रण करना सीख जाऐं तो अनेकानेक रोगों से बचा जा सकता है । प्रोफेसर गिरीश ने बीच बीच में अनेक हंसी खुशी के फव्वारे छोडते हुए कहा कि दिन ‘‘दिन की खुशहाली और रात को चैन की नींद के लिए हमें अपने मस्तिष्क में डिपॉजिट होने वाली स्मृतियों पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है.. जैसे छोटे मासूम बच्‍चे कोई भी अच्‍छी या बुरी घटना जल्दी ही भूल जाते हैं और अपना सामान्य व्यवहार करने लगते हैं aठीक इसी प्रकार हर युवा या बुजुर्ग को भी अपने अंदर अपना बचपन जरूर जिंदा रखना है, ताकि हम कष्टदायक स्मृतियों को अपने मस्तिष्क रूपी हार्ड डिस्क से डिलीट कर सकें और खुशी देने वाले अनमोल पलों को याद कर सेव कर सकें ।’’
प्रोफेसर गिरीश ने एकाग्रता का मंत्र देते हुए कहा कि हमारा मन और बुद्धि ये दोनों एक ही दिशा में कार्य करेंगे तभी हमारी एकाग्रता से हमारे संकल्पों की सफलता अवश्य होगी ।
इस अत्यधिक सफल कार्यक्रम के प्रारंभ में फैमिली कोर्ट के स्पेशल जज श्री कुलदीप जी जैन, नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती स्वाति चौपडा, भाजपा जिलाध्यक्ष श्रीमती वंदना खण्डेलवाल, मेडिकल कॉलेज के डीन आदित्य जी बरेड, ज्ञानोदय विश्‍व विद्यालय की कुलाधिपति श्रीमती माधुरी चौरसिया, डॉ. अशोक जैन, पूर्व विधायक नन्द किशोर जी पटेल, वरिष्ठ भाजपा नेता एवं समाजेसेवी संतोष जी चौपडा, सीआरपीएफ ग्रुप सेन्टर के कमाण्डेंट प्रमोद जी साहू, फस्ट बटालियन के कमाण्डेंट श्री विजय कुमार आदि ने राजयोगिनी बी.के.सविता दीदी, प्रो. ई.वी.गिरीश एवं बी.के.सुरेन्द्र भाई के साथ मिलकर अनेक दीप प्रज्‍जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया । श्रीमती स्वाति चौपड़ा एवं वंदना खण्डेलवाल ने प्रो.ई.वी.गिरीश को गुलदस्ता भेंट कर स्वागत किया । स्वागत भाषण बी.के.सविता दीदी द्वारा दिया गया तथा आभार प्रदर्शन बी.के.सुरेन्द्र भाई ने किया, कार्यक्रम का सफल संचालन बी.के.श्रुति बहन द्वारा किया गया । अंत में सभी को पवित्र प्रसादी के पेकेट प्रदान किये गए।

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